The smart Trick of Subconscious Mind Power That Nobody is Discussing




पैगम्बर सुलेमान ने मच्छर की जब यह प्रार्थना सुनी तो कहने लगे, "ऐ इंसान चाहनेवाले मच्छर! तुझको पता नहीं कि मेरे शासनकाल में अन्याय का कहीं भी नामोनिशान नहीं है। मेरे राज्य में जालिम का काम ही क्या!

साधु ने आकाश-वाणी सुनी कि अभी थोड़ी ही दिन में लोग तुझपर अविश्वास करने लगते, और तुझे कपटी और प्रपंची बताने लगते। कहते कि इसीलिए ईश्वर ने इसकी यह दशा की है। वे लोग काफिर न हो जायें और अविश्वास और भ्रम में ग्रस्त न हो जायें, जन्म के अविश्वासी ईश्वर से विमुख न हो जायें, इसलिए हमने तेरा यह चमत्कार प्रकट कर दिया है कि आवश्यकता के समय हम तुझे हाथ प्रदान कर देते हैं। मैं तो इन करामातों से पहले भी तुझे अपनी सत्ता का अनुभव करा चुका हूं। ये चमत्कार प्रकट करने की शक्ति जो तुझको प्रदान कीह गयी है, वह अन्य लोगों में विश्चास पैदा करने के लिए है। इसीलिए इसे उजागर किया गया है। ¬१

मच्छर ने कहा, "बेशक, आपका कथन सत्य है, पर हमारे ऊपर कृपा-दृष्टि रखना भी तो श्रीमान ही का काम है। दया कीजिए और दुष्ट वायु के अत्याचारों से हमारी जाति को बचाइए।"

Subconscious mind is impacted negatively any time you say casual issues. Subconscious mind programming goes negatively after you do this. This results in being major hurdle in your life, in obtaining results in everyday life.

आओ, साहस करके नदी में उतरो। तुम तो सरदार और आगे-आगे चलनेवाले हो, बीच रास्ते में ठहरकर हिम्मत न हारो।"

"उस जगह का कूड़ा-करकट साफ कर देना और अगर वहां सील हो तो सूखी घास बिछा देना।"

हजरत मूसा ने बड़ी नरमी से उसे समझाया, "तेरी इच्छा पूरी हो जायेगी, परन्तु अच्छा यह है कि तू ईश्वर से डर और इस विचार को छोड़ दे, क्योंकि शैतान की प्रेरणा से तुझे यह ख्याल पैदा हुआ है। व्यर्थ की विपत्ति मोल न ले, क्योंकि पशुओं की बोली समझने से तुझपर बड़ी आफत आयेगी।"

हजरत उमर न फरमाया, "यह आग भगवान के कोप का चिह्न है और यह तुम्हारी कंजूसी की आग का एक शोला हैं। इसलिए पानी छोड़ दो और रोटी बांटना शुरू करो। यदि तुम भविष्य में मेरी आज्ञा का पालन करना चाहते हो तो मंजूसी से हाथ खींच लो।"

जलालुद्दीन रूमी / चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य

उस दुखियारे को पानी की ध्वनि में इतना आनन्द आया कि वह दीवार में से ईंटें उखाड़कर पानी में फेंकने लगा। पानी की यह दशा थी, मानो वह कह रहा था कि ऐ भद्र परुष, भला मेरे ईंटें मारने से तुझे क्या लाभ? प्यासा भी मानो अपनी दशा से यह प्रकट कर रहा था कि मेरे इसमें दो लाभ हैं। इसलिए मैं इस काम से कभी हाथ नहीं रोकूंगा। पहला लाभ तो पानी की आवाज का सुनना है। यह प्यासों के लिए रबाब (एक प्रकार का बाजा) की आवाज से अधिक मधुर है। दूसरा लाभ यह है कि जितनी ईंटें मैं इस दीवार की उखाड़ता जाता हूं, उतना ही निर्मल जल के निकट होता जाता हूं, क्योंकि इस ऊंची दीवार से जितनी ईंटें उखड़ती जायेंगी, उतनी ही दीवार नीची होती चली जायेगी। दीवार का नीचा होना पानी के निकट होना है।"

बोला "महाराज! ईश्वर जानता है कि मुझे खबर नहीं थी। ऐ दयालु, मुझे

ऊंट को दया आयी और कहा, "अच्छा, मेरे कोहान पर चढ़कर बैठ जा। इस तरह आर-पार होना मेरा काम है। तुझ जैसे हजारों को नदी पार करा चुका हूं।"

जब उसकी विदा कर चुका तो मौलवी से कहने लगा, "ऐ महापुरुष! यह तो जाहिर और मुझे भी विश्वास है कि तू धर्म-शास्त्रों का ज्ञात है: परन्तु तेरे साथी को सैयदपने का दावा निराधार है। तुझे क्या मालूम, इसकी मां ने क्या-क्या किया?

यह जवाब सुनकर वह बेचारा प्रेमी निराश होकर अपने प्रेमपात्र के द्वारा से लौट गया। बहुत दिनों तक वियोग की आग में जलता रहा। अन्त में उसे फिर प्रेमपात्र से मिलने की उत्कण्ठा हुई और उसके द्वार पर चक्कर काटने लगा। कहीं फिर website काई अपमानसूचक शब्द मुंह से न निकल जाये, इसलिए उसने डरते-डरते कुंडी खटखटायी। प्रेमपात्र ने भीतर से पूछा, "दरवाजे पर कौन है?"

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